मंगलवार, 28 अक्तूबर 2014

गुरुवार, 25 सितंबर 2014

; ; ;  ; ;  शक्ति जागरण -नवदुर्गा महापर्व ; ; ; ;

माँ ने हमें जन्म दिया और सदाचार्य का जीवन जीने की शैली भी हमें सिखाई हैं,हम भारतीय स्वभाव से  सदा से ही आदर्शवादी रहे हैं ,माँ के बिना अवतार भी अपने जीवन  की दिशा तय नहीं कर पाते तो हम साधारणजन के लिए यह असभव ही हैं,
जननी हमारी गुरु और मार्गदर्शिका होती हैं ,माँ का दर्जा ईश्वर से कभी भी कम नहीं हो सकता हैं ,आपको जीवन में कभी भी कठनाई आये तो एक नन्हे बच्चे की तरह माँ को याद करना समस्त शक्तियॉ आपके करीब होगी ,माँ तुम हो न ,,,,ॐ श्री राधे कृष्णा बोले ,,राधेराधे,,,

रविवार, 26 जनवरी 2014

आत्मा की दिव्य चेतना

ईश्वर से ज्यादा क्या अहंम और स्वार्थ है.....    
 ईश्वर का यदि जीवन में किसी प्रिय की तरह प्रत्येक साँस के साथ पल प्रति पल अहसास तो हो,किन्तु अहंम और स्वार्थ करीबी रिश्तेदार की तरह ,हर समय सिर्फ बाधा ही उत्पन्न करते हो ,और हम उनके हाथ की कठपुतली ही बनकर रह जाते हैं , अपने (स्वार्थी रिश्तेदार)के सहारे एक कदम भी चलने से मजबूर हो जाए तो एक  दिखावटी भक्त की तरह ही जीवन भर रहें आते हैं ,अपने जीवनपथ से अगर काँटे अलग नहीं कर पाते तो हितो-उपदेश देने का भी हमारा  कोई धर्माधिकार नहीं रह जाता हैं सदज्ञान इसी को कहते हैं,ईश्वर हैं और अपने भक्तो के आभाचक्र की रक्षा करते रहते हैं ,उनका (भक्तों )का जीवन ईश्वर के सहारे चलता रहता हैं ,ईश्वर सच्चे मित्र की तरह कल्याण की आशा करते हैं ,सच्चे भक्त तो ईश्वर में ही लवलीन रहते हैं ,ईश्वर की आभा का आभास और  दर्शन तथागत और शंकराचार्य जी को घने वन में बोधि वृक्ष के निचे हुआ ,संसार के सभी ज्योतिलिंग बोधिवृक्ष के साये में ही स्वयं प्रगट हुए ,,ईश्वर को तो प्रकृति से ही लगाव हैं रजोगुणी राजसी व्यवस्था ने उन पवित्र स्थानों मंदिर निर्मित कर अपना मान सम्मान पाने की भरपूर चेष्टा की ईश्वर तो ममतामयी ,करुणामयी ,दयालु हैं ,कुपात्र भी भोले भगवान् से वरदान पा जाते हैं ,ईश्वर हैं,शिव और शक्ति रूप में मेरे कहने का आशय यही हैं कि उनमें स्त्री +पुरुष दोनों की आभा विराजमान हैं,देवी को पत्ता हैं कि उनके भगवान के मन में क्या चल रहा हैं ,और भगवन भी भगवती की भावना को भलीभांति समझते हैं दो शरीर होकर भी आत्मा से एक ही रहते हैं ,आज भी कुछ समय पूर्व अद्भुत देवी-शक्ति भारत में प्रगट हुई हैं ,शारदादेवी +रामकृष्ण परमहंस ,श्रीराम शर्मा +भगवती देवी ,इन के दर्शन मात्र से सुप्त शक्तियाँ जाग्रत हो जाती हैं ,मैं तो यही कहना चाहता हूँ कि सभी धर्म का सम्मान करना चहिए ,इनका निर्माण परम पवित्र आत्मा ने किया हैं ,राजसी और तामसी प्रवृति के लोग   अपनी अपनी समझ से स्वार्थपूर्ति के लिए धर्म की दिशा बदलने की हमेशा बलवती चेष्टा किया करते हैं, जो भी हो हमें पवित्र नदी की तरह मर्यादा में रहना चाहिए ,सत्य,अहिंसा,करुणा प्रेम,ममता के सामने सभी हथियार कमजोर साबित होगेँ,,,कभी भी एक कठिन समय हमारे दरवाजे पर दस्तक दें सकता हैं,ॐ श्रीराधेकृष्ण बोले ,राधेराधे,,,

शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

महा रास लीला ॐ श्री राधे कृष्णा बोले

भगवान् श्री कृष्णा की सोलह कलाओं को लेकर आती हैं शरद पूर्णिमा 
प्रतिदिन हम प्रार्थना  में गाया करते हैं ,तन ,मन ,धन ,सब हैं तेरा क्या 
लागे मेरा,,,इसका अर्थ यही हैं ,हे ईश्वर तू तो आत्मा में समाया  हुआ हैं ,,
और ये शरीर ,मन ,ऐश्वर सब का दाता भी तू ही हैं ,,जो तेरा हैं वह तुझे ही 
अर्पित करता हूँ ,,ताकि मेरे अन्दर उत्पन्न होने वाले विकार स्वत:ही नष्ट 
हो जाए ,,किशोर श्री कृष्णा से शरद पूर्णिमा को देव रूपी गोप -गोपिका के 
रूप में प्रगटे महा तपस्वी साधू ,संतों ,साध्वी ,जो गाय और गवालन रूप में 
थे वे सभी ,मग्न होकर नाच गा रहे थे ,और ईश्वर श्री कृष्णा की आभा वर्षा में
वे अपना तन मन फिगों रहे हैं,,आओ इस शरद पूर्णिमा पर ॐ श्री राधे कृष्णा
के भाव में इस तन ,मन और आत्मा को तरबर कर लें ,
ॐ श्री राधे कृष्णा बोले ,राधे राधे

शनिवार, 9 मार्च 2013

omshri Radhe Radhe: ईश्वर एक हैं ,आदिकर्ता शिव अर्ध्दनारीश्वर स्वरूप ह...

omshri Radhe Radhe: ईश्वर एक हैं ,आदिकर्ता शिव अर्ध्दनारीश्वर स्वरूप ह...: ईश्वर एक हैं ,आदिकर्ता शिव अर्ध्दनारीश्वर स्वरूप है,, ॐ नम :शिवाय :अर्द्ध नारीश्वर प्रभु जिन्होंने माँ पिता दोंनों रूपों को अपने में ध...