omshri Radhe Radhe: माँ तो प्रकृति की हर संपदा में विधमान हैं ,,,, ...: माँ तो प्रकृति की हर संपदा में विधमान हैं ,,,, तू और मैं बस न जाने क्यों दूसरों कि बातो में , अपने...
शुक्रवार, 25 मई 2012
माँ तो प्रकृति की हर संपदा में विधमान हैं ,,,,
तू और मैं बस न जाने क्यों दूसरों कि बातो में ,
अपने ही हाथो से अपने ही घर को खोदने लगते हैं
हम सोचते हैं कौन हैं हमे देखने वाला हमे रोकने वाला माँ
माँ तो दुनिया छोडकर चली गई पर भाई माँ हैं ...
प्रकृति की हर संपदा में विधमान हैं ..भाई माँ माँ हैं वो
आज भी कल भी होगी क्योकि वो माँ हैं माँ
वो सिर्फ देना जानती हैं माँ को जानो तब ही
प्रकृति को भी जान पाओ गे माँ तुम हो न
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