बुधवार, 9 मई 2012

ईश्वर है 

ॐ  जय  श्री  राधे  कृष्ण /जीवन में इंसान भटकता ही रहता हैं,
 जिसप्रकार कस्तूरी हिरन की नाभि में रहती है और वह उसे ,
जंगल जंगल खोजता फिरता है ,उसीप्रकार हम भी आत्मा में 

विराजमान परमात्मा को जगह जगह तलासते है,,, ....,,,,,,,

राधे राधे बोल ,,,,,,,,
   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें