शनिवार, 17 नवंबर 2012

ईश्वर हैं तो फिर ...

ईश्वर (भगवान् )वो परम पुरुष हैं ,जिन्हें केवल अनन्य भक्ति से ही पाया 
जा सकता हैं ईश्वर हैं कहाँ और उन्हें कैसे पाया जा सकता हैं ?यह जिज्ञासा 
सभी ज्ञानीजन के मन में रहती हैं ,यद्धपि उनका परम धाम हैं , फिर भी वे सृष्टि
की सूक्ष्म से भी सूक्ष्म में उपस्थित रहते हैं ,जब मन ,तन और आत्मा एकाकार
 होते हैं ,तब सच्चे प्रेमी की तरह उनका ह्रदय में प्रवेश होता हैं ,जो भी कृष्ण विज्ञानं
(तत्व )से पूर्णतया अवगत हैं ,वह  भक्त ही शुध्द भक्ति के  कारण  परमेश्वर को जान
 पाता  हैं ,और वह उस  निर्गुण  ब्रह्म में ही एकाकार होने लगता हैं,,OShri Radhe Krishna Bole...

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